इंपोर्ट में बढ़ोतरी के कारण भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा मार्च 2025 में बढ़कर 21.54 बिलियन डॉलर (1.84 लाख करोड़ रुपए) हो गया है। ये पिछले महीने की तुलना में 34% ज्यादा है। फरवरी में व्यापार घाटा 14.05 बिलियन डॉलर (1.21 लाख करोड़ रुपए) था। वहीं मार्च में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 0.7% बढ़कर 41.97 बिलियन डॉलर (3.60 लाख करोड़ रुपए) पहुंच गया है। देश में इंपोर्ट 11.4% बढ़ा इंपोर्ट की बात करें तो मार्च में भारत का इंपोर्ट 63.51 बिलियन डॉलर 5.44 लाख करोड़ रुपए रहा। ये फरवरी के मुकाबले 1.02 लाख करोड़ ज्यादा है। पिछले महीने भारत में 4.42 लाख करोड़ रुपए का इंपोर्ट हुआ था। फरवरी में व्यापार घाटा 3 साल में सबसे कम रहा व्यापार घाटा फरवरी 2025 में घटकर 14.05 बिलियन डॉलर (1.21 लाख करोड़ रुपए) हो गया था। ये घाटा अगस्त 2021 बाद से सबसे कम है था। फरवरी में मर्चेंडाइस एक्सपोर्ट 3.20 लाख करोड़ रुपए रहा। जनवरी में ये 3.16 लाख करोड़ रुपए था। इसमें 1.25% की बढ़ोतरी हुई थी। फरवरी में इंपोर्ट की बात करें तो ये जनवरी के मुकाबले 13.59% कम रहा था। फरवरी में भारत का इंपोर्ट 4.42 लाख करोड़ रुपए रहा। ये जनवरी के मुकाबले 73,000 करोड़ रुपए कम था। जनवरी में भारत में 5.15 लाख करोड़ रुपए का इंपोर्ट हुआ था। क्या होता है ट्रेड डेफिसिट? जब एक निश्चित टाइम पीरियड को दौरान देश का इंपोर्ट यानी विदेशों से मंगाए गए सामान की वैल्यू देश के एक्सपोर्ट यानी देश देश के बाहर भेजी जाने वाली सामानों की वैल्यू से ज्यादा हो जाता है। ऐसी स्थिती में भारत का पैसा विदेशों में ज्यादा चला जाता है, इसी स्थिती को ट्रेड डेफिसिट या व्यापार घाटे कहा जाता है। इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई देश बेचने से ज्यादा खरीदता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।

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