Ujjain Mahakal Bhang Shringar: उज्जैन में बाबा महाकाल पर चढ़ने वाली भांग को लेकर छिड़े विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। महाकाल सेना ने विद्वत परिषद (Vidvat Parishad) को खुले मंच पर शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। संगठन बोला, भांग शिवप्रिय और शास्त्रसम्मत है, जबकि पूर्व संभागायुक्त मोहन गुप्त और अन्य ने इसे परंपरा के खिलाफ बताया था। (MP News)
विद्वत परिषद को महाकाल सेना की चुनौती
हाल ही में पूर्व संभागायुक्त मोहन गुप्त ने दावा किया था कि शिव पुराण, लिंग पुराण आदि में भांग का उल्लेख नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुजारी अधिक दक्षिणा के लिए भांग चढ़वाते है और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इसके जवाब में महाकाल सेना (Mahakal Sena) के राष्ट्रीय धर्म प्रकोष्ठ प्रमुख महेन्द्र सिंह बैस ने परिषद को खुली चुनौती दे दी।
उन्होंने कहा कि बाबा महाकाल पर चढ़ाई जाने वाली हर वस्तु का वैज्ञानिक व धार्मिक आधार है।चंदन और भांग के लेपन से भक्तो को निराकार से साकार स्वरूप का दर्शन मिलता है, जिससे उनकी भक्ति और गहराती है। दशकों से मंदिर में भाग-चंदन का श्रृंगार परंपरा का हिस्सा रहा है। MP News
शास्त्रों में उल्लेख का दावा
महाकाल सेना विद्वत परिषद ने पुराणों, वेदों और अन्य ग्रंथों का अध्ययन कर दावा किया है कि भांग भगवान शिव को प्रिय है। शिव पर भांग चढ़ाने और लेपन का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
समय-स्थान तय कर लें
महाकाल सेना ने मोहन गुप्त और उनके साथियों से कहा है कि वे समय और स्थान तय कर ले, संगठन खुले मंच पर शास्त्रार्थ के लिए तैयार है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें शिवभक्तों, मंदिर समिति और पुजारियों से माफी मांगनी होगी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 18 अगस्त को रात 8 बजे राजसी सवारी का महाकाल मंदिर में आगमन हो रहा था। उसी दौरान मंदिर में लगी टीवी पर दिखा कि बाबा महाकाल पर भांग से किया श्रृंगार का एक भाग अचानक गिर गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के मंदिर प्रशासक ने पुजारी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा। नोटिस में पूछा गया कि ज्योतिर्लिंग पर तय से मात्रा से ज्यादा भांग क्यों लगाया गया। इधर, धार्मिक संगठन विद्वत परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कमिश्नर मोहन गुप्त ने इस श्रृंगार को गलत बताया जिस पर बवाल हो गया। MP News